नदी की आत्मकथा पर निबंध Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi

Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi नदी की आत्मकथा पर निबंध : मैं एक नदी हूं मेरा जन्म पहाड़ों से हुआ है मैं पहाड़ों से निकाल कर झरनों के द्वारा आगे बढ़ती रहती हूं और एक समय में जाकर सागर के अंदर लुप्त हो जाती हूं मैं जैसे ही पर्वत से निकलती हूं मेरा रूप बहुत ही छोटा होता है लेकिन मैं जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती हूं मेरा रूप और अधिक विशाल हो जाता है मैं जहां-जहां से गुजरती हूं वहां-वहां पर हरियाली पैदा करती हूं इसके अलावा मैं अनेकों प्रकार के जीवों को अपने अंदर समेटे रखती हूं और उनका पालन पोषण भी करती हूं भगवान ने मेरा निर्माण प्रकृति को हरा भरा रखने के लिए किया है।

नदी की आत्मकथा पर निबंध Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi
Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi

नदी की आत्मकथा पर निबंध Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi (100 शब्दों में)

पहाड़ों से आखरी बार मुलाकात करने के बाद और समुद्र में मिलने से पहले मुझे अनेकों प्रकार की मुसीबत का सामना करना पड़ता है समुद्र तक का मेरा सफर बहुत ही मुश्किल रहता है मेरे सामने चाहे जो कोई भी आ जाए मैं सबको पार करती हुई चलती हूं फिर चाहे वह कोई पर्वत हो या फिर बड़ी चट्टान इन सभी को पार करके मैं अपना रास्ता खोज लेती हूं लेकिन कई बार मेरा रूप इतना विशाल हो जाता है कि मेरे इस रूप की वजह से काफी कुछ नष्ट हो जाता है।

नदी की आत्मकथा पर निबंध Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi (200 शब्दों में)

पर्यावरण के प्रति भी मेरा बहुत सारा उद्देश्य है क्योंकि किसान मेरे जल का ही उपयोग करके फसल उगाते हैं और फसल उगाने पर हर तरफ हरियाली उत्पन्न हो जाती है और वही फसल पूरे देश का पेट भरती है असल मायने में सारी सृष्टि के भोजन की उत्पत्ति मेरे द्वारा ही होती है मेरे जीवन का उद्देश्य लोक कल्याण करना ही है समय बदलने के साथ मेरे अंदर भी बहुत से परिवर्तन होने लगे जैसे  मेरे चरणों पर लोगों ने बांध बना दिए नए-नए उद्योग धंधे विकसित हो गए।

पहले के समय में लोग मेरी पूजा करते थे मेरे जल को बहुत ही पवित्र माना जाता था मेरा जल पीकर लोग अपनी प्यास बुझाते थे और मेरे को माता के रूप में देखा करते थे लेकिन अब लोग मुझे एक पाप धोने का माध्यम समझते हैं कि मेरे अंदर स्नान करने से उनके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है मेरे अंदर स्नान करने से उनके पाप नष्ट नहीं होते बल्कि उनके अच्छे कर्मों के द्वारा ही उनके पाप नष्ट होते हैं और मैंने यह भी देखा है कि कैसे लोग मेरे किनारे बैठकर अपनी पूजा पाठ करते हैं अपने बुजुर्गों की अस्थियां मेरे अंदर बहते हैं और लोग जीवन का आरंभ भी मेरे किनारे से ही करते हैं और जीवन के अंतिम समय में भी मेरे पास आते हैं।

नदी की आत्मकथा पर निबंध Nadi ki Atmakatha Essay in Hindi (300 शब्दों में)

आज के इस कलयुग के अंदर लोग मेरा बहुत अधिक अपमान कर रहे हैं जहां पहले मेरे को माता का दर्जा दिया जाता था अब वही पर मेरे को दूषित किया जा रहा है लोग मेरे जल को दूषित कर रहे हैं और मेरे किनारो पर गंदगी फैला रहे हैं पहाड़ों से निकलती हुई समुद्र से मिलने से पहले मैं अनेकों प्रकार के पाप होते हुए देखती हूं लेकिन मैं मजबूर हूं,

मैं इन सबको देखती हुई आगे बढ़ जाती हूं लोग मेरे किनारो से बहुत अधिक मात्रा में पेड़ काट रहे हैं और यह वही पेड़ है जिनको मैं अपना पानी देकर बड़ा किया है और मेरे अंदर रह रहे अनेको जीव भी इस दूषित जल के कारण मृत्यु हो जाती है,

जिस समय में मेरी पूजा हुआ करती थी मैं वह समय दोबारा देखना चाहती हूं मैं चाहती हूं कि लोग मेरे महत्व को समझें और मुझे दूषित न करें और मेरे किनारो पर अधिक से अधिक पेड़ लगाए मेरे अंदर रह रहे जीवो को बचाएं और मेरे महत्व को समझे।

क्योंकि मैं एक नदी होने के साथ-साथ प्रकृति का सौंदर्य भी हूं और प्रकृति का प्रतीक भी हूं मैं मेरे जीवन काल में कभी भी नहीं थकती हूं मैं यह सोचकर चलती रहती हूं कि मेरे वजह से कितने प्राणियों का जीवन चल रही हू और मेरे आने का इंतजार कितने लोग कर रहे हैं अनेकों प्रकार के जीव पेड़, पौधे, किसान मेरा इंतजार करते रहते हैं।

लेकिन आज के मनुष्य का यह कर्तव्य बनता है कि वह मेरे जल जल को साफ सुथरा रखें किसी भी प्रकार की गंदगी मेरे अंदर ना डालें क्योंकि मनुष्य मेरा जल पीकर ही अपनी प्यास को शांत करता है।

निष्कर्ष

नदी का हमारे जीवन में बहुत महत्व है यह भगवान द्वारा दी गई एक प्राकृतिक भेंट है जिसको हम दूषित करके भगवान को शर्मिंदा कर रहे हैं अगर हम ऐसा लगातार करते रहे तो वह दिन दूर नहीं है कि हमें एक दिन पेट्रोल की जगह पानी भी इसी तरह खरीदना पड़ेगा इसीलिए हमें जल को स्वच्छ एवं साफ सुथरा रखना चाहिए ताकि हमारे जीवन वह हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए पृथ्वी पर पानी की कमी ना हो क्योंकि जल है तो कल है जल ही जीवन है।

FAQs

नदी की आत्मकथा निबंध का उद्देश्य

नदी की आत्मकथा निबंध का उद्देश्य आप लोगों को नदी व जल के महत्व के बारे में बताना है कि हमारे जीवन में नदी का कितना महत्व है

जल को दूषित करने से क्या हो जाएगा

अगर हम इसी तरह जल को दूषित करते रहे तो एक दिन हमारे पृथ्वी पर पीने का पानी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा

हमें क्या नहीं काटने चाहिए

हमें पेड़ पौधे नहीं काटने चाहिए बल्कि अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना चाहिए ताकि हमारी पृथ्वी हरी भरी रह सके

पहले के लोग नदी को क्या मानते थे

पहले के लोग नदी को अपनी माता मानते थे और इसकी पूजा करते थे

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