बारकोड क्या है? Barcode in Hindi बारकोड के प्रकार और फायदे

Barcode in Hindi: बड़ी बड़ी सुपर मार्केट में जाने के बाद आपको काउंटर पर प्रोडक्ट को बस स्कैन करके उसकी कीमत अपने आप स्क्रीन पर दिखाई देना अपने देखा होगा। इन सभी सुपर मार्केट में बारकोड को स्कैन करके अपने कार्य को आसान कर दिया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा भी है कि यह बारकोड क्या है? आज इस लेख के माध्यम से बारकोड क्या है, बारकोड का इतिहास, बारकोड बनाने की प्रक्रिया, बारकोड कैसे कार्य करता है, बारकोड के प्रकार और फायदे के बारे में जानेंगे।

बारकोड क्या है? बारकोड के प्रकार और फायदे, Barcode in Hindi

Barcode in Hindi (बारकोड क्या है)

किसी भी प्रोडक्ट को अगर गौर से देखते है तो उसके जानकारी वाली जगह पर कुछ छोटी बड़ी रेखाएं और नंबर लिखे होते है। इसी को बारकोड कहा जाता है। बारकोड की व्याख्या करनी है तो यह एक कोड है जिसको छोटी बड़ी आकार की रेखाएं और अंकों के साथ बनाया जाता है। इसी कोड के माध्यम से उस प्रोडक्ट के बारे में जानकारी हासिल करना संभव है।

बारकोड के माध्यम से मुख्य रूप से उस उत्पादन की जानकारी जैसे कि प्रमाण, कीमत, मैन्युफैक्चरर्स और देश की जानकारी होती है। इस बारकोड का आकर बहुत छोटा होता है। अगर इसको गौर से देख जाए तो आपको पता चलेगा कि इसमें कुल 95 सफेद और काले रंग की सीधी रेखाएं खींची होती है।

बारकोड में इतनी सारी जानकारी होती है तो अपने कार्य को सुलभ बनाने में इसी बारकोड के माध्यम से मूलभूत जानकारी हासिल करना आसान है। इस बारकोड के स्कैनिंग के लिए बारकोड स्कैनर होते है। बारकोड स्कैनर और बारकोड के माध्यम से किसी भी प्रकार से गलती होने की संभव लगभग ना के बराबर है।

बारकोड का इतिहास (History of Barcode)

बारकोड में समय के अनुसार बदलाव होते रहे है। लेकिन पहली बार बना हुआ बारकोड लगभग 70 साल पहले शुरू हुआ था। इसके पीछे की रोचक कहानी आपको पता होना जरूरी है।

1949 में किसी सागर के किनारे इस बारकोड की खोज हुई थी। इससे पुरानी बाते भी अब जानना जरूरी है। ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी में मेकेनिकल इंजीनियर रहे जोसेफ वुडलैंड ने मोर्स कोड बनाया था। इस मोर्स कोड में कुछ रेखाएं समांतर रूप से दी जाती थी। उनके दोस्त बर्नाड सिल्वर के सामने जोसेफ ने एक सवाल खड़ा किया था।

ड्रेक्सल युनिवर्सटी के डीन के सामने एक नया प्रोजेक्ट आया था। इस प्रोजेक्ट में ग्रोसरी स्टोर के चेकआउट पर कोई सिस्टम डिजाइन करनी थी। इसके ऊपर जवाब में बर्नाड और जोसेफ ने मिलकर बारकोड की खोज की थी।

1952 में इस खोज का पेटेंट हुआ था। अगर इस पेटेंट को देखते है तो क्लासीफाइंग अपरेट्स एंड मेथड्स इस नाम से पेटेंट हुआ था। लेकिन उसका इस्तेमाल बड़ी मात्रा में 1966 से शुरू हुआ। नैशनल असोसिएशन ऑफ फूड चैन ने इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ऑटोमेटेड चेकआउट सिस्टम में किया था।

बारकोड की खोज तो हो गई लेकिन इसके स्कैनिंग को बहुत दिन लगे। 26 जून 1974 में पहली बार बारकोड को स्कैन किया गया। इस बारकोड में 11 अंकों का एक कोड था।

बारकोड बनाने की प्रक्रिया (Barcode Creation Process)

बारकोड बनाने की आवश्यकता आपके प्रोडक्शन बिजनेस के साथ शॉप्स पर भी है। जिससे आपके बिजनेस को और भी अच्छे से ऑटोमेट किया जा सकता है।

बारकोड बनाने में आपको बहुत सारे ऑनलाइन ऐप सहायता करेंगे। इसमें आपको किसी भी प्रकार की कीमत चार्जेस के रूप में देने की आवश्यकता नहीं है। इसी बारकोड बनाने की प्रक्रिया को जानते है।

  1. बारकोड बनाने के लिए बहुत सारे ऑनलाइन वेबसाइट है। https://barcode.tec-it.com/en यह ऑफिशियल वेबसाइट है। आपको इसी वेबसाइट पर जाना है।
  2. इस वेबसाइट पर आपको ऑनलाइन बारकोड बनाने के लिए ऑप्शन दिया गया है।
  3. बारकोड के अलग अलग प्रकार में से लाइनर कोड, बैंकिंग एंड पेमेंट्स कोड, पोस्टल कोड ऑप्शन है। आपको आपके जरूरत के अनुसार ऑप्शन का चुनाव करना है।
  4. नीचे दी गई जानकारी देकर आप जनरेट कोड करके अपना बारकोड बना सकते है।
  5. जनरेट हुआ बारकोड डाउनलोड करके आप इस्तेमाल कर सकते है।

बारकोड कैसे कार्य करता है (How Barcodes Work)

बारकोड में आपको रेखाओं में लेफ्ट, सेंटर और राइट बार होते है। इस भाग में कुल 95 सफेद और काले रंग की सीधी रेखाएं होती है। उस रेखाओं के नीचे अंक दिए जाते है। इसमें आपको कंट्री कोड, मैन्यूफैक्चरर का कोड, वस्तु का कोड और चेक डिजिट दिखाई देते है।

बारकोड स्कैनर में जब बारकोड स्कैन किया जाता है उस वक्त पहले लाइट नहीं लगता। लेकिन बाद में एक बार लाइट लगकर कुछ स्कैन किया जाता है। अपने भारत देश के बारकोड का कोड 890 है।

बारकोड के प्रकार (Types of Barcodes)

बारकोड के छोटे छोटे बहुत सारे प्रकार है लेकिन इसमें से 2 मुख्य प्रकार आज हम देखेंगे।

लीनियर बारकोड (1D बारकोड):

हमने अब तक जो सीधी रेखा वाले बारकोड की बात की है वह सभी लीनियर बारकोड है। इसका सबसे बड़ा इस्तेमाल है यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड।

इस प्रकार के बारकोड में लाइन के साथ अंक भी दिए जाते है। इसमें आखरी अंक एक चेक डिजिट कोड होता है। इसी कोड के माध्यम से बारकोड स्कैनर को पता चलता है कि कोड सही से स्कैन हुआ है या नहीं।

क्विक रिस्पॉन्स कोड (2D बारकोड):

बारकोड से थोड़ा अधिक सुधारित वर्जन QR कोड है। इसे क्विक रिस्पॉन्स कोड कहा जाता है। आज हम पेमेंट के लिए इसी बारकोड प्रकार का इस्तेमाल करते है।

क्विक रिस्पॉन्स कोड में बहुत सारी जानकारी स्टोर करने की क्षमता होती है। जैसे कि कीमत, किसी वेबसाइट का एड्रेस, आपकी जानकारी इसमें स्टोर हो सकती है।

बारकोड के फायदे (Benefits of Barcode)

  • बारकोड के माध्यम से बड़ी बड़ी मॉल में चेकआउट प्रोसेस को और भी गति के साथ ऑटोमेट किया गया है।
  • किसी प्रोडक्ट की इतनी सारी जानकारी एक छोटी जगह में देकर उसे पाना बारकोड के माध्यम से आसान है।
  • बारकोड के माध्यम से गलती की गुंजाइश कम हुई है।
  • बारकोड के संकरण क्विक रिस्पॉन्स कोड से आज भारत में पेमेंट सिस्टम में पूरी तरह से बदलाव आया है।

निष्कर्ष

आज के समय में हर एक दुकान पर बारकोड सिस्टम आने के कारण बिजनेस को गति प्राप्त हुई है। हम इस बारकोड को देखते आए है लेकिन इसकी जानकारी हमे नहीं होती। उम्मीद है आपको बारकोड के बारे में सभी मूलभूत जानकारी हासिल हुई है। अगर आपके मन में कोई सवाल है तो हमे कमेंट बॉक्स में जरूर कमेंट करके पुछे।

FAQs

बारकोड किस लिए इस्तेमाल किया जाता है?

बारकोड का इस्तेमाल मुख्य रूप से किसी भी प्रोडक्ट की जानकारी जैसे कि कीमत और मैन्यूफैक्चरर जतन करने में किया जाता है।

किसी भी प्रोडक्ट पर बारकोड कैसे ढूंढे?

प्रोडक्ट के जानकारी वाले हिस्से में आपको खड़ी रेखाएं और उसके नीचे नंबर दिखाई देता है तो वही बारकोड है।

भारत में कौनसे कंपनी के बारकोड इस्तेमाल होते है?

भारत में GS1 इंडिया नाम की कंपनी के 890 नंबर से शुरू होने वाले बारकोड ही इस्तेमाल किए जा सकते है।

बारकोड में कुल कितनी रेखाएं और कितने अंक है?

अभी के अनुसार बारकोड में कुल 95 सफेद और काली रेखाएं और 12 अंक है।

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